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90's Waala Pyar - Hindi - Sharad Tripathi

90's Waala Pyar - Hindi - Sharad Tripathi

Description

90's Waala Pyar by Sharad Tripathi is a captivating contemporary fiction novel that brings the nostalgia of the 90s era alive with its touching portrayal of love, emotions, and the unforgettable memories of a simpler time. Written in Hindi, this book resonates deeply with readers who cherish the essence of youth, love, and friendships that defined the 90s.

The story unfolds with a blend of heartfelt moments and relatable experiences, capturing the unique flavor of the era. Through its compelling narrative, 90's Waala Pyar invites readers to relive the magic of love and connections that transcend time.

  • Author: Sharad Tripathi
  • Genre: Literature & Fiction (Contemporary Fiction)
  • Publisher: Hind Yugm
  • ISBN: 9788194844372
Regular price Rs. 130.00
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प्रभात सौरभ
नए साल का स्वागत किताब से करें।

पहला नशा पहला खुमार
नया प्यार है नया इंतज़ार
किसी भी दौर/काल खंड को हम सबसे पहले उस समय के उपभोक्ता वस्तुओं के प्रकार से याद करते/पहचानते हैं।मसलन VCR,VCP,Dish,Internet TV,माइक,डेक,लैंडलाइन,मोबाइल, वाई फाई,चेलपार्क,रेनॉल्ड्स,पार्कर,थ्रिल,रसवंती, थम्सअप, अफ़गान,मोती,लाइफबॉय,एंबेसडर, फिएट,मारुति,लैंब्रेटा,वेस्पा,बजाज आदि।यादों की लिस्ट सम्मोहक होती है। आंखें बंद करो तो उस दौर के टीवी विज्ञापनों के गीतों की श्रृंखला कंठस्थ हो मन को पुनः आच्छादित कर लेती है।बच्चे,किशोर किसी दौर को यूं स्वप्निल हो याद करते हैं तो उस दौर के अभिभावक चीजों के दाम और क्वालिटी से अपने दौर को रेखांकित करते हैं।राजनीति,फिल्म,खेल सबकी उपलब्धियां अपने दौर को जी रहे आम आदमी से कनेक्ट होती हैं।
इन सभी बातों की खुश्बू लिए कहानी संग्रह "90's वाला प्यार" में जो सबसे खास है वो है तत्कालीन समय के इमोशन्स,एक्सप्रेशंस एंड टैकल/ट्रीटमेंट ऑफ सिचुएशंस। हर दौर के प्यार का एक अपना तेवर होता है।ईमानदारी,दोस्ती,मान सम्मान,विद्रोह का भी।आपके गुण,अवगुण,विशेषता,इमोशन्स,एक्सप्रेशंस तय करने में जेनेटिक जड़ के साथ साथ आपके सामाजिक माहौल की टहनियों का भी योगदान होता है।और इस माहौल की क्रिएटिविटी, ग्रैविटी को प्रभावित करती हैं फिल्में,उनके गाने,लोक संगीत,भजन कीर्तन और साहित्य।अनायास हमारा पहनावा,फैशन सब फिल्मों और टीवी से प्रेरित हो जाता है यहां तक कि शुरुआती संवाद और दोस्ती भी।आत्म बोध/ज्ञान से परिचय के पहले की मासूम और अनगढ़ अभिव्यक्तियों का कोलाज है यह कहानी संग्रह।सारी कहानियों में प्यार अपनी सहजता से प्रकट होकर परिस्थितियों के अनुरूप अपनी नियति को प्राप्त होता है।राइटर ने प्यार की नियति का निर्धारण भी बड़ी सहजता से बिना किसी वाद/वैचारिक प्रतिबद्धता के किया है। प्रत्येक स्टोरी का नैरेटिव विजुअल्स क्रिएट करता है जिस कारण आप कहानी से कनेक्ट रहते हैं।कहानी कॉम्पैक्ट स्क्रिप्ट की तरह है जैसे दो से तीन एपिसोड में ही फिल्माया जाना हो।
पहली कहानी हर टीन एजर/पाठक के लिए डायरी के पन्नों या डाउन मेमोरी लेन से गुजरने जैसा है।यहां शरद ने अगले पेज की घटनाओं का अनुमान पाठक को नहीं लगा पाने की चुनौती सौंपी है और कहानी इसमें सफल रही है।संग्रह की पहली कहानी बताती है कि आपको किसी सुखांत या दुखांत के लिए नहीं बल्कि प्यार का साक्षी होने के लिए इस संग्रह को पढ़ना है।
संग्रह की दूसरी कहानी में शरद कन्फर्म कर देते हैं कि आप उनकी कहानी को ज़रा भी predict नहीं कर सकते और ये बात संग्रह में रुचि जगाती है।"राहुल नाम तो सुना होगा" कहानी 90 के दौर के तकनीकी विकास को बखूबी दर्शाती है और एक सच्चा वाला प्यार करने वाले के व्यक्तित्व विकास को भी।
90 के दौर में प्यार के साथ उर्दू,मुस्लिम,चांद का ज़िक्र न होता तो बात अधूरी रह जाती।"ईद मुबारक" में उस दौर में गूगल का न होना कहानी का निर्णायक बिंदु है।
यह कोई साहित्यिक या वैचारिक कहानियों का संग्रह नहीं है।ऐसी आत्म स्वीकारोक्ति भूमिका में दर्ज कराने वाले शरद की "लोटा परेड" कहानी साहित्य और विचार के सभी मापदंडों पर उत्कृष्ट रचना है।मार्केटिंग रूल्स को परे रख दें तो इस कहानी संग्रह का नाम "लोटा परेड"भी हो सकता था।प्रेम,भावना,आत्म सम्मान,महिला सशक्तिकरण से पगी हुई ये कहानी वर्तमान को मनोनुकूल जीने का अनायास उदाहरण प्रस्तुत करती है।अनिवार्य रूप से पढ़ी जाने योग्य कहानी है ये।
संग्रह की कहानियों में किसी भी हमउम्र लड़की को नायिका समझ उसके प्रेम में सराउंडिंग्स की व्याख्या करते हुए लगभग एकतरफा प्यार में लहालोट होते हुए कथित संयुक्त जिंदगी को जीने का रोचक आख्यान है।कनपुरिया भाषा में monologue, स्वगत शैली के अत्यधिक उपयोग से संग्रह रांझणा फिल्म की बरबस याद दिला जाता है।
"बीमारी"इस संग्रह की उल्लेखनीय कहानी है।अपने विषय वस्तु और वैचारिक ट्रीटमेंट के कारण।शरद अपनी कहानियों का सहज विस्तार करते करते अचानक उनका समापन करते हैं और ये शार्प कर्व कहीं से नहीं खटकता।"बीमारी" में नायिका कहती है "इंडियन गवर्नमेंट ने धारा 377 को डिक्रिमिनलाइज कर दिया है।अब तुम्हारी पहचान,तुम्हारा प्यार कोई अपराध नहीं है।"
अभिभावक की अवस्था में किशोर मन को समझना चाहते हैं,समोसे का सम्मोहन,लैंडलाइन की महिमा,मोहल्ले का अंडरवर्ल्ड,ईमेल पर फीमेल आईडी,शायरी से मोहब्बत ये सारा कुछ याद करना चाहते हैं तो जरूर पढ़े "90's वाला प्यार"।
जेनरेशन गैप समझना चाहते हैं,जानना चाहते हैं इमोशन्स के इतिहास को,पिछली पीढ़ी के टैबू को,बिना दिमाग वाले प्यार को,बिना स्वार्थ के व्यवहार को,टेस्ट क्रिकेट के खुमार को तो 2025 के युवा जरूर पढ़े"90'sवाला प्यार" को।
कनपुरिया स्टाइल में बोले तो अच्छा लिखे हो त्रिपाठी।

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